इस तरीके की दृष्टि संवेदना से ही आती है और डॉ. राजेश कुमार व्यास की यात्रा संस्मरण की यह पुस्तक इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
4.
? दुनिया के स्तर पर फिल्मों का इतिहास इस प्रश्न का उत्तर ‘ नहीं ' में देता है | फिल्मो में कालजयिता, दृष्टि संवेदना और सरोकार से मिलकर आती है, न कि वित्त और तकनीक के बल पर | इनकी भूमिका उनके सहयोगी जैसी ही हो सकती है, उससे अधिक नहीं |